आपने अक्सर बड़ों या दूसरों से यह कहते हुए सुना होगा की खाते वक्त बोलना नहीं चाहिए | दरअसल ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भोजन के दौरान चबाया हुआ लारयुक्त भोजन ग्लाटिस (कंठ द्वार ) से होते हुए ग्रासनली में पहुंचता है | निवाला निगलते समय अनैच्छिक और प्रतिवर्ती क्रिया के कारन एपिगलोटिस से सट जाता है | इससे स्वास नाली बंद हो जाती है, और ग्लाटिस फ़ैल कर निवाले को ग्रासनली में जाने का मार्ग देता है | भोजन करते समय बोलने से स्वास नली में भोजन के कण फंस सकते हैं | इन कणों के द्वारा स्वास नली में उत्तेजन होते ही प्रतिवर्ती क्रिया के कारन खांसी हो सकती है | भोजन का बड़ा टुकड़ा फंसने से दम भी घुट सकता है | इसीलिए हमें खाते समय बोलना नहीं चाहिए |

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