परमवीर चक्र भारत सरकार द्वारा युद्ध में शौर्य प्रदर्शन हेतु जीवन काल अथवा मनोपरांत दिया जाने वाला श्रेष्ठतम सम्मान है, इसे वीर चक्र के नाम से भी जाना जाता है | यह सम्मान 26 जनवरी 1950 से दिया जा रहा है|
History of highest gallantry award Paramvir Chakra in Hindi.
- यह पदम् कासें का गोलाकार होता है| परमवीर चक्र के एकदम बिच में राष्ट्रिय चिन्ह आशोक स्तभं और चारो सिरों पर इन्द्रदेव का वज्र आकिंत रहता है| परमवीर चक्र को तैयार करने में इन्होने ऋषि दधिची से प्रेरणा ली| जिस तरह दधिची ने देव कल्याण हेतु जीते जी हडिडयो का दान किया और उन हडिडयो से इंद्र का अमोघ अस्त्र वज्र तैयार हुआ| वैसे ही सैनिक भी जीते जी राष्ट्र कल्याण हेतु अपना सर्वस्व समर्पित कर देते है|
- परमवीर चक्र छाती के बाई ओर सवा इंच चौड़े बैगनी रंग के रिबन द्वारा लटकाया जाता है| यह बैगनी रंग लाल,नीला और आसमानी रंगों का मिश्रण होता है| यह तीनो सेना के प्रतीक रंगों की एकता का प्रतीक है| थल सेना का रंग लाल ,वायु सेना का आसमानी तथा नौ सेना का रंग नीला होता है| इस तरह ह्रदय का रंग बैगनी है| यह बाई ओर स्थित ह्रदय के उदात भावों और बहादुर सैनिको के उदार हार्दिक भाव का प्रतिनिधि बन जाता है|
परमवीर चक्र की जानकारी (History of param vir chakra)
- परमवीर चक्र का प्रारूप ईवाबोंन लिंडा मडे -डे मारोस ने तैयार किया था| 20 जुलाई 1913 को जन्मी ईवा के पिता हंगरी के तथा माता रुश की थी इन्हें बचपन से ही भारतीय कला साहित्य तथा संस्कृति में गहरी रूचि थी| विरोध को झेलकर इन्होंने 1932 भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट के तत्कालीन कैप्टन विक्रम खालोंनकर से प्रेम विवाह कर यहां की संस्कृति को अपना लिया तथा अपना नाम पहले सावित्री खानोलकर तथा बाद में सावित्री बाई रख लिया |भारत आकर इस विदेशी बहु ने अपने आपको पूरी तरह भारतीय रंग में रंग लिया विधिवत रूप से चित्रकला,शास्त्रीय संगीत, हिंदी-संस्कृत सीखी| इनकी रचनात्मकता में वेंदांत, भारतीय दशर्न तथा जनकल्याण की भावना मिलती है|
इवाबोन सैनिक की पत्नियों के कल्याण कार्यो में भी जुटी रहती थी| उनके भारतीय संस्कृति का ज्ञान तथा सामाजिक कार्यो को देखकर तत्कालीन मेजर जनरल हिरा लाल अटल ने इनसे परमवीर चक्र का प्रारूप बनाने का आग्रह किया इवाबोन को इस कार्य के आग्रह से ही बहुत प्रसन्नता मिली| उन्होंने परमवीर चक्र के कई प्रारूप स्वीकृत हुआ|
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