आज से लगभग 121 साल पहले जर्मन वैज्ञानिक सर विलियम रोंजन ने वर्ष 1895 में एक्स-रे किरण का अविष्कार किया था । 8 नवंबर 1895 को सर विलियम रोंजन देर रात तक अपनी प्रयोगशाला में काम कर रहे थे । वे नली से विघुत धारा प्रवाहित कर रहे थे । अचानक उन्होंने देखा की प्रयोगशाला में क्रिस्टल चमकने लगा। शुरू में उसे कोई महत्व नहीं दिया 'क्योंकि उन्हें लगा कि नलिका से उत्सर्जित विकिरण इतनी दूऱ नहीं जा सकती है, तब वे सोचने लगे यदि जा सकती हैँ, तो आखिर कितनी दूर तक जा सकती है, अत: नली से पुन: विधुत धारा प्रवाहित कर यह जानने की कोशिश की, आखिर नलिका से उत्सर्जित विकिरण कितनी दूर तक जा सकती हे तथा इस उद्देश्य से उत्सर्जित विकिरण की सीमा क्या हे । उन्होंने प्रयोगशाला के दरवाजों खिडकियों को चारों ओर से बंद कर दिया तथा नलिका को काले कपडे से ढक दिया (इससे प्रकाश की किरण बाहर न जाने पाए), उसके बाद नली से विधुत धारा प्रवाहित करते ही पुन: क्रिस्टल चमकने लगा, इसके बाद वे यह समझ गए कि नली से अदृश्य किरण निकलती है जिसकी भेदन शक्ति बहुत हैं| यदि कांच की नलिका में से वायु को पंप से क्रमश: निकाला जाए और उसमें उच्य विभव का विधुत सर्जन किया जाए, तो दाब के पर्याप्त अल्प होने पर वायु स्वयं प्रकाशित होने लगती हे । अत: उन्होंने इस अदृश्य किरण का नाम एक्स-रे किरण दे दिया ।


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उनकी इस खोज के कारण इसे रोंजन किरण भी कहा जाता है उन्होंने इस किरण के रास्ते में अलग-अलग मोटाई की वस्तु रखीं तथा फोंटोंग्राफिक प्लेट का उपयोग कर उसकी अलग-अलग छवि पायी, वास्तव में एक्स-रे की खोज से पहले विलियम रोंजन कैथोड किरणों के प्रभाव पर काम कर रहे थे | लेकिन रोंजन ने तो एक्स-किरण के इस प्रयोग के विषय में अपनी पत्नी बार्था को बताया और उसके बाएं हाथ की एक्स-रे तस्वीर ली । विशेष रूप से पहचान के लिए उसके हाथ में उसकी शादी को अंगूठी भी थी, बाद में उसका एक्स-रे चित्र विकसित किया जो दुनिया का पहला एक्सरे चित्र था । इस घटना के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति आ गई ।

अब हम हड्डी के फ्रैक्चर के सही स्थान का पता बिना सर्जरी के लगा सकते हैं। उसके बाद सीटी स्कैंन और एक्स-रे इमेजिंग प्रणाली से चिकित्सा के क्षेत्र में कई मरीजों के शरीर के क्षतिग्रस्त हिरसों की जानकारी का उपचार संभव हुआ हे। यह उपचार चिकित्सा के क्षेत्र में वरदान साबित हुआ है । उदयोगों में विशेषतः निर्माण तथा निर्मित पदार्थों के गुणों के नियंत्रण में एक्स रे का बहुत उपयोग होता हे । निर्मित पदार्थों की अंतस्य त्रुटियाँ एक्स-रे फोटोग्राफी द्वारा सरलता  से ज्ञात की जा सकती हैं । धातु एक्स-रे का अवशोषण करते हैं, अतः  धातुओं के अंतर्भागों की परीक्षा के लिए मृदु एक्स-रे अनुपयुक्त होते हैं । पदार्थ विज्ञानं के क्षेत्र में क्रिस्टल के  विश्लेषण के लिए एक्स-रे विवर्तन फा उपयोग होता है। कार्गों में भी इसका उपयोग खतरनाक सामाग्री और ड्रग्स की स्कैनिंग के लिए होता है । वेल्डिंग की गुणवत्ता के लिए वेल्ड की आतंरिक संरचना की छवि प्राप्त कर त्रुटिपूर्ण वेल्ड क्रो रिपेयर कर सुधार किया जाता हे । अत: आतंरिक संरचना की छवियों को प्राप्त करने के लिए चिकित्सा और उद्योग में इसका उपयोग किया जाता है । इसकी तरंगदैर्ध्य 10 से 0.01 (nm) तक होती है|

एक्स-रे सामग्री के घनत्व व मोटाई निर्भर करता है । एक्स-रे के अन्य उपयोगों में एक्स-रे सूक्ष्मदर्शी उल्लेखनीय हे । एक्स-रे के तरंगदैर्ध्य प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से सूक्ष्म होती है, अत: एक्स-रे सूक्ष्मदर्शी को प्रकाश सूक्ष्मदर्शी अधिक प्रभावशाली होना चाहिए । प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से जिन बातों का पता नहीं चल पाता उनका ज्ञान सरलतापूर्वक एक्स-रे सूक्ष्मदर्शी से हो जाता हे । बहरहाल वैज्ञानिक सर विलियम रोंजन द्वारा एक्स-रे की खोज ने मरीजों की रक्षा के साथ-साथ उदयोगों व चिकित्सा में नयी दिशा दी है |


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